2024 में तृणमूल कांग्रेस अपने बलबूते पर लड़ेगी चुनाव
– विपक्ष एकता को लगा बड़ा धक्का बीजेपी की बल्ले बल्ले
अशोक झा, सिलीगुड़ी: ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और लेफ्ट से गठजोड़ नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा, ‘बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस के बीच अनैतिक गठबंधन था। भाजपा ने अपने हिस्से का वोट कांग्रेस कैंडिडेट को ट्रांसफर कराया है। लेफ्ट और कांग्रेस के लोग चाहते हैं कि ममता बनर्जी उनके साथ आ जाए, लेकिन इस तरह वे कैसे भाजपा से लड़ेंगे। टीएमसी ही अकेले इस गठबंधन से मुकाबला करेगी। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी गठबंधन की संभावना को पूरी तरह से नकार दिया है। ऐसे में ममता बनर्जी के इस फैसले से विपक्षी एकजुटता की मुहिम को झटका लगा है।
बीजेपी, कांग्रेस और माकपा सब साथ: ममता
ममता बनर्जी ने कहा, “बीजेपी, कांग्रेस और माकपा सब साथ हैं। सब सांप्रदायिक कार्ड खेल रहे हैं। टीएमसी इन तीनों ताकतों से अकेले ही लड़ सकती है। हमने 2021 में भी ऐसा किया था। टीएमसी 2024 में लोगों के साथ गठबंधन करेगी। हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ नहीं जाएंगे। हम लोगों के समर्थन से अकेले लड़ेंगे।”
मैं पहले कांग्रेस का हिस्सा थी: ममता बनर्जी
उन्होंने कहा, “कांग्रेस कह रही थी कि ममता बनर्जी भी कांग्रेस में थी। मैं पहले कांग्रेस का हिस्सा थी। यहां कुछ कंफ्यूजन है। हम इस पर काम करेंगे।” ममता बनर्जी ने सागरदिघी में कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के प्रत्याशी की जीत के बाद बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सागरदिघी विधानसभा चुनाव में अपने वोट कांग्रेस को ट्रांसफर किए। उन्होंने कांग्रेस सीपीएम और बीजेपी के बीच अनैतिक गठबंधन का आरोप लगाया।
उपचुनाव हारने के बाद ममता का ऐलान
गौरतलब है कि बीते दिन ही तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के जन्मदिन पर विपक्षी एकता का उदाहरण पेश किया गया। मंच से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी दलों के साथ आने का आह्वान किया। मिशन- 2024 के लिए बीजेपी को हराना है। हालांकि, ममता बनर्जी के इस ऐलान से विपक्षी एकता की कोशिश को करारा झटका लगा है। पश्चिम बंगाल की सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने टीएमसी को गढ़ में जाकर मात दी है। ऐसे में उपचुनाव हारने के बाद टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने 2024 का चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया। इस चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट के साझा उम्मीदवार को जीत मिली है। 13 साल बाद ऐसा हुआ है, जब इस सीट से टीएमसी को हाथ धोना पड़ा है। यहां पर ममता बनर्जी की पार्टी 2011 के बाद से लगातार चुनाव जीत रही थी। मुर्शिदाबाद जिले की इस सीट पर टीएमसी के विधायक और मंत्री रहे सुब्रत साहा की मौत के बाद उपचुनाव कराया गया है। साहा की बीते साल दिसंबर में मौत हो गई थी। लेफ्ट पार्टियों के समर्थन वाले कांग्रेस उम्मीदवार बैरॉन बिस्वास को यहां जीत मिली है। इस जीत ने कांग्रेस को खुश कर दिया है। पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘मैं आज बहुत खुश हूं। मैंने जब कार्यकर्ताओं का उत्साह और प्रतिबद्धता देखी तो बहुत खुशी हुई। ममता बनर्जी के अंत की शुरुआत मुर्शिदाबाद जिले से हो गई है। यह लेफ्ट और कांग्रेस की साझा जीत है। टीएमसी को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्ष को साथ आना होगा। ममता बनर्जी ने हमेशा चुनाव जीतने के लिए अल्पसंख्यक कार्ड खेला है और उन्हें छला है। सागरदिघी सीट वाला इलाका बीड़ी उद्योग के लिए मशहूर रहा है और यहां की 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में 18.5 फीसदी दलित और 6.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग भी रहते हैं। कुल 2.3 लाख वोटरों वाली इस सीट पर कांग्रेस की जीत उसका हौसला बढ़ाने वाली है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब वह बंगाल में अपने अस्तित्व के लिए भी जूझ रही है। इन नतीजों को लेकर टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि इलेक्शन में लेफ्ट, कांग्रेस और बीजेपी का गठबंधन था। रिपोर्ट अशोक झा