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हमारा संविधान  देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है

Uma ShaBy Uma ShaNovember 26, 2022
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हमारा संविधान  देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है
– यह हमारे कर्त्तव्यों को भी निर्धारित करता है,  इस दिवस मनाए जाने का उद्देश्य देश के नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना
अशोक झा, सिलीगुड़ी: वैसे तो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था लेकिन इसे 26 नवम्बर 1949 को ही स्वीकृत कर लिया गया था।इसी दिन भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था, इसीलिए 26 नवम्बर का दिन ही ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संविधान निर्माता के रूप में डा. भीमराव अम्बेडकर को याद किया जाता है, जिन्होंने दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया। भारत का संविधान ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है और साथ ही हमारे कर्त्तव्यों को भी निर्धारित करता है।
संविधान सभा को इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का लंबा समय लगा था। नरेन्द्र मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्ष 2015 में पहली बार निर्णय लिया गया कि संविधान सभा की निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डा. भीमराव अम्बेडकर के 125वें जयंती वर्ष के अवसर पर 26 नवम्बर 2015 को संविधान दिवस मनाया जाए और तभी से यह दिवस मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई। यह दिवस मनाए जाने का उद्देश्य देश के नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना तथा डा. भीमराव अम्बेडकर के अमूल्य योगदान और उनके विचारों, आदर्शों का स्मरण करना है।

भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना 29 अगस्त 1947 को की गई थी, जिसके अध्यक्ष के तौर पर डा. भीमराव अम्बेडकर की नियुक्ति की गई। पं. जवाहरलाल नेहरू, डा राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद इत्यादि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान सभा के अध्यक्ष डा राजेन्द्र प्रसाद थे और नियमानुसार संविधान पर सबसे पहले हस्ताक्षर भी उन्हीं के होने चाहिएं थे किन्तु पं. नेहरू ने संविधान पर सबसे पहले हस्ताक्षर किए थे। संविधान का मसौदा तैयार करने में किसी भी प्रकार की टाइपिंग अथवा प्रिंटिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया, तभी से हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मना रहे हैं। संविधान लागू होने से दो दिन पहले 24 जनवरी 1950 को संविधान की तीनों प्रतियों पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गए थे।

9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में पहली बार समवेत हुई थी लेकिन मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान बनाने की मांग को लेकर इस बैठक का बहिष्कार किया था। 11 दिसम्बर 1946 को हुई संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया और वे संविधान के निर्माण का कार्य पूरा होने तक इस पद पर रहे। 14 अगस्त 1947 को भारत डोमिनियन की प्रभुत्ता सम्पन्न संविधान सभा पुनः समवेत हुई और 29 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत में संविधान सभा द्वारा संविधान निर्मात्री समिति का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष सर्वसम्मति से डा. भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया। संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिनों तक चली। संविधान के निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रुपये का खर्च आया और इसके निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई। संविधान सभा में शुरू में 389 सदस्य थे किन्तु मुस्लिम लीग द्वारा स्वयं को इससे अलग कर लिए जाने के बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गई थी।

बहुत कम लोगों को ही भारतीय संविधान की पहली प्रति के बारे में मालूम होगा कि संविधान के जो सजे हुए चित्र हम देखते हैं, वह संविधान की पहली हस्तलिखित प्रति के ही चित्र हैं। इस प्रति को दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी रायजादा ने कैलीग्राफी के जरिये तैयार किया था। 1400 पन्नों की संविधान की प्रति को अंग्रेजी में रास बिहारी ने और हिन्दी में वी के वैद्य ने लिखा, जिन्होंने इसे लिखने का कार्य एक हफ्ते में ही पूरा कर दिया था। इसी संविधान की तीन प्रतियां बनवाई गई, जिनमें से दो को नंदलाल बोस और राम मनोहर सिन्हा द्वारा सुसज्जित पन्नों पर प्रेम बिहारी रायाजादा ने, एक हिन्दी और दूसरी अंग्रेजी में तैयार किया जबकि तीसरी प्रति को अंग्रेजी में देहरादून में छपवाया गया। यह हमारे लिए आश्चर्य के साथ गौरव की भी बात है कि इतना महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हुए भी भारतीय संविधान की मूल प्रति हस्तलिखित ही है, जिसकी पहली दो प्रतियां हिन्दी और अंग्रेजी में हैं।

26 नवम्बर 1949 को संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार हो जाने पर तय हुआ कि संविधान की पहली प्रति को कैलीग्राफी की खूबसूरत कला में सहेजा जाए। तब पं. नेहरू ने कैलीग्राफी कला में महारत हासिल प्रेम बिहारी रायजादा से खूबसूरत लिखावट में इटैलिक अक्षरों में संविधान की प्रति लिखने का अनुरोध किया और इस तरह रायजादा ने छह महीने में इस कार्य को पूरा किया। पं. नेहरू ने प्रख्यात चित्रकार आचार्य नंदलाल बोस से भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाने का आग्रह किया था और इस प्रकार 221 पृष्ठों के इस दस्तावेज के सभी 22 भागों में से प्रत्येक को एक-एक चित्र से सजाया गया और भारतीय संविधान की इस मूल प्रति पर इन 22 चित्रों को बनाने में चार साल का समय लगा। इसके प्रस्तावना पृष्ठ को नंदलाल बोस के शिष्य राममनोहर सिन्हा ने सजाया था।

हमारे संविधान की मूल प्रतियों को लेकर यह तथ्य भी बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि संविधान की इन बेशकीमती प्रतियों को संसद भवन की लाइब्रेरी के एक कोने में बने स्ट्रांग रूम में सहेजकर रखा गया है, जिन्हें पढ़ने की इजाजत किसी को भी नहीं है। संविधान की ये प्रतियां कभी खराब न हो सकें, इसके लिए इन्हें हीलियम गैस से भरे केस में सुरक्षित रखा गया है। यही कारण है कि हमारे देश की यह अमूल्य धरोहर हमारे पास सुरक्षित और आज भी मूल अवस्था में है। हीलियम एक ऐसी अक्रिय गैस है, जो संविधान की प्रति के पन्नों को वातावरण के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करने से रोकती है।

निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद शामिल थे, जो 22 भागों में विभाजित थे और इसमें केवल 8 अनुसूचियां थी। भातीय संविधान में अब 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां शामिल हैं और इसमें अभी तक 101 बार संशोधन हो चुके हैं। संविधान में किए गए इन संशोधनों के जरिये सामयिक जरूरतों के अनुरूप जनतंत्र और शासन प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के प्रयास किए गए। संविधान में पहला संशोधन वर्ष 1951 में किया गया था, जिसके तहत स्वतंत्रता, समानता एवं सम्पत्ति से संबंधित मौलिक अधिकारों को लागू करने संबंधी व्यावहारिक कठिनाइयों का निराकरण करने के लिए संविधान में नवीं अनुसूची जोड़ी गई थी। रिपोर्ट अशोक झा

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