संसद के बजट सत्र से पहले हो सकता है केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार
अशोक झा, सिलीगुड़ी: इस महीने के अंतिम सप्ताह में शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। विस्तार को अंजाम देने की विमर्श की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
गृह मंत्री अमित शाह की कुछ सहयोगी दलों के नेताओं से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मैराथन बैठक हुई। कई घंटे चली इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने हिस्सा लिया। सूत्रों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव की मजबूत तैयारी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ही नहीं राज्यों और केंद्रीय संगठन में भी अहम बदलाव होंगे। बदलाव की यह प्रक्रिया केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार से शुरू होगी। इससे पहले नड्डा के कार्यकाल को एक साल का विस्तार दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद राज्यों के संगठन में बदलाव, जरूरी नेतृत्व परिवर्तन और केंद्रीय संगठन में अहम बदलावों पर मुहर लगेगी। योजना 15 फरवरी तक हर तरह के बदलाव को अमलीजामा पहनाने की है।
अंतिम विस्तार इसलिए बड़ा मंथन
लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी मंत्रिमंडल का यह अंतिम विस्तार होगा। यही कारण है कि इसके लिए व्यापक स्तर पर मंथन किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि विस्तार के जरिए राज्यों के समीकरण साधने के लिए बड़े बदलाव किए जाएंगे। इसके जरिए राज्यों के सियासी, सामाजिक समीकरण साधे जाएंगे। संभवत: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद एक बार फिर से शीर्ष स्तर पर विमर्श की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
सहयोगियों का रखा जाएगा ध्यान
मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार सहयोगियों का खास ख्याल रखा जाएगा। दरअसल मोदी सरकार और भाजपा इस धारणा को खत्म करना चाहती है कि उसका रुख सहयोगी दल विरोधी है। जदयू, अकाली दल के राजग छोडऩे, शिवसेना में बिखराव के कारण भाजपा पर इस आशय के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में विस्तार में सहयोगियों के लिए बेहतर संभावना उपलब्ध कराए जाने के आसार हैं।
चिराग, आरसीपी का मंत्री बनना तय
सूत्रों का कहना है कि बिहार में सियासी समीकरण साधने के लिए चिराग पासवान को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। नीतीश के करीबियों में शुमार रहे आरसीपी सिंह को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। इसके अलावा शिवसेना के साथ आए धड़े से एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री बनाए जाने और पहले से मंत्रिमंडल में शामिल कुछ सहयोगियों की पदोन्नति के भी आसार हैं।
31 से 6 अप्रैल तक बजट सत्र, होंगी 27 बैठकें
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि संसद सत्र का पहला हिस्सा 31 जनवरी से 13 फरवरी और दूसरा हिस्सा 13 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा। पहले हिस्से में एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। उसके बाद राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। जबकि दूसरे हिस्से में आम बजट पर चर्चा का वित्तमंत्री जवाब देंगी और धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देंगे। पूरे सत्र में 27 बैठकें होंगी।
पुराने संसद भवन में ही सत्र
नए संसद भवन का काम लगभग पूरा हो गया है, लेकिन बजट सत्र पुराने भवन में ही होने के आसार हैं। बीते शीतकालीन सत्र से ही नए संसद भवन में सत्र आयोजित करने की तैयारी थी। हालांकि नए संसद भवन का काम पूरा नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया था।
बजट पर मंथन का सिलसिला जारी
आम बजट पर वित्त मंत्री की ओर से मंथन का सिलसिला जारी है। हर बार की तरह इस आम बजट में उनका जोर राजकोषीय घाटे से निपटने के साथ विकास की गति बनाए रखने पर होगी। मध्य वर्ग इस बार भी आयकर छूट सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद करेगा। मंत्रियों के प्रदर्शन और सत्तारूढ़ पार्टी की राजनीतिक अनिवार्यताओं के कारण यह बदलाव होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जुलाई 2021 में केवल एक बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल किया है, जबकि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने तीन बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार किया था। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह फेरबदल 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले किसी भी दिन हो सकता है। भाजपा कार्यकारिणी की बैठक 16-17 जनवरी को दिल्ली में होनी है। ऐसी राय है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत और हिमाचल प्रदेश विधानसभा एवं दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार से मिले सबक का असर इस फेरबदल में दिख सकता है। साथ ही कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों में राजनीतिक जरूरतों के अनुसार भी इस मंत्रिपरिषद में फेरबदल हो सकता है। यह फेरबदल संभवत: आखिरी बार होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब केवल 15 महीने का समय बचा है। ऐसे में बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में उभरते राजनीतिक समीकरण भी फेरबदल में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इसी तरह, ऐसी चर्चा है कि पार्टी के संगठन में भी बदलाव लाया जा सकता है। मोदी की मंत्रिपरिषद में बदलाव हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं, क्योंकि कभी-कभी ऐसे मंत्रियों को हटाया गया और ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया, जिसके बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था। मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव के लिए भी मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल सुर्खियों में रहे हैं। पिछली बार प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था, जबकि पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव को शामिल किया गया था और उन्हें रेलवे एवं सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए थे। पिछले फेरबदल के बाद मुख्तार अब्बास नकवी को मंत्री पद गंवाना पड़ा था। सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड) और शिवसेना कोटे से मंत्री रहे नेताओं के इस्तीफे से भी पद खाली हुए हैं। दोनों दल इस समय विपक्षी खेमे में हैं। फेरबदल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है, जिसे शिवसेना के अधिकांश सांसदों का समर्थन प्राप्त है। रिपोर्ट अशोक झा