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#संविधान के जनक डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि आज!! 

Soyeta JhaBy Soyeta JhaDecember 6, 2022
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#संविधान के जनक डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि आज!! 
-डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे
अशोक झा, सिलीगुड़ी: आज संविधान के जनक डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि है। 6 दिसंबर 1956 को बाबासाहेब अंबेडकर का देहावसान हुआ था। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे।उन्होंने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने और गरीब, दलितों, पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अर्पित किया। इसलिए आज के दिन उनकी पुण्यतिथि को देश भर में महापरिनिर्वाण दिवसके तौर पर सभी सामाजिक व राजनीतिक दलों के द्वारा मनाया जाता है। अंबेडकर ने वर्ष 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मतलब ‘मौत के बाद निर्वाण’ होता है। बौद्ध धर्म के मुताबिक जो व्यक्ति निर्वाण प्राप्त करता है वह संसारिक इच्छाओं, मोह माया से मुक्त हो जाता है। अंबेडकर पुण्यतिथि के दिन लोग उनकी प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाते हैं। दीपक व मोमबत्तियां जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। कई जगहों पर उनकी याद में कार्यक्रम होते हैं। उनके विचारों को याद करने के अलावा उनकी संघर्ष गाथा भी बताई जाती है।
यहां जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में :  दलितों और पिछड़ों के मसीहा डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ। बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति (दलित) से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था। उनके पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। उनके पिता ब्रिटिश सेना की महू छावनी में सूबेदार थे।

बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की। स्कूल में उन्हें काफी भेदभाव झेलना पड़ा। उन्हें और अन्य अस्पृश्य बच्चों को स्कूल में अलग बैठाया जाता था। वह खुद पानी भी नहीं पी सकते थे। ऊंच जाति के बच्चे ऊंचाई से उनके हाथों पर पानी डालते थे।अंबेडकर का असल नाम अंबावाडेकर था। यही नाम उनके पिता ने स्कूल में दर्ज भी कराया था। लेकिन उनके एक अध्यापक ने उनका नाम बदलकर अपना सरनेम ‘अंबेडकर’ उन्हें दे दिया। इस तरह स्कूल रिकॉर्ड में उनका नाम अंबेडकर दर्ज हुआ। बाल विवाह प्रचलित होने के कारण 1906 में अंबेडकर की शादी 9 साल की लड़की रमाबाई से हुई। उस समय अंबेडकर की उम्र महज 15 साल थी। 1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की और फिर 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया। इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइंस से डिग्री ली।1913 में एमए करने के लिए वे अमेरिका चले गए। तब उनकी उम्र महज 22 साल थी। अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका था। इसके बाद 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से एमए की डिग्री ली।अंबेडकर दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए ‘बहिष्कृत भारत’, ‘मूक नायक’, ‘जनता’ नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किये। 1927 से उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया। महाराष्ट्र में रायगढ़ के महाड में उन्होंने सत्याग्रह भी शुरू किया। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर ‘मनुस्मृति’ की तत्कालीन प्रति जलाई थी। 1930 में उन्होंने कलारम मंदिर आंदोलन शुरू किया।1935 में अंबेडकर को गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे का प्रिंसिपल बनाया गया। वह दो साल तक इस पद पर रहे। आजादी की लड़ाई के बीच आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। उनकी काबिलियत देख उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। भारत की आजादी के बाद उन्हें पहला कानून मंत्री बनाया गया। अंबेडकर ने 1952 में बॉम्बे नॉर्थ सीट से देश का पहला आम चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। वह बार राज्यसभा से दो बार सांसद रहे। संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी। 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर और उनके समर्थकों ने पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया। 6 दिसंबर, 1956 को अंबेडकर की मृत्यु हो गई। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया। रिपोर्ट अशोक झा

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