वयोवृद्ध शिक्षाविद आचार्य पंडित यशोधर झा का शांति भोज कल
– स्वर्गीय झा ने जीवन भर दुसरों को दिया मार्गदर्शन
बताया कि शिक्षा को बेचना नहीं बल्कि बांटना
अशोक झा, सिलीगुड़ी:
सिलीगुड़ी के वरिष्ठ पत्रकार अशोक झा, ठाकुरगंज दैनिक भास्कर के पत्रकार अमित झा के पिता श्री बिहार सीमावर्ती क्षेत्र के वयोवृद्ध शिक्षाविद आचार्य पंडित यशोधर झा अब हमारे बीच नहीं है। लंबी उम्र और बीमारी के कारण 8 दिसंबर शुक्रवार को उनका सिलीगुड़ी के एक नर्सिंग होम में निधन हो गया था।अपने जीवन के शतकीय पारी को पार करते हुए उन्होंने जीवन के अंतिम समय तक शिक्षा को बेचने से परहेज करते रहे। ठाकुरगंज निज निवास स्थान पर 18 दिसंबर (रविवार) तथा 19 दिसंबर (सोमवार)
को शांति भोज कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
अंतिम समय तक देते रहे निशुल्क शिक्षा
आचार्य पंडित यशोधर झा अपने जीवन के अंतिम काल तक तीन
पीढ़ियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करते रहे। उनके निधन से बिहार बंगाल सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन से शिक्षा जगत में एक युग का समाप्त हो गया। स्वर्गीय आचार्य पंडित यशोधर झा के जीवन के संबंध में बताया जाता है कि बनारस से व्याकरण आचार्य बनने के बाद वह कम उम्र में ठाकुरगंज पहुंचे। अपने विद्वता के बल पर उन्होंने देखते ही देखते क्षेत्र में प्रखर संस्कृत के विद्वान की पहचान बना ली। ठाकुरगंज निवासी कमलेश चंद्र लाहिरी से भूमि लेकर शिक्षा स्तर में सुधार के लिए उन्होंने ठाकुरगंज हाई स्कूल की स्थापना की। स्कूल के संस्कृत व हिंदी शिक्षक के रूप में सन 1980 तक कार्य किया। उनके दर्जनों विद्यार्थी देशभर में उच्च पदों पर पदस्थापित है और कई राजनीति के गलियारों में विधायक और मंत्री भी है। धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के लिए उनके दरवाजा हमेशा लोगों के लिए खुले रहते थे। कर्मकांड के विद्वान होने के साथ वे हस्तरेखा और जन्म कुंडली के विशेषज्ञ थे। वह हमेशा अपने विद्यार्थियों से गुरु दक्षिणा के रूप में मांग करते थे वे जीवन में कभी शिक्षा का सौदा नहीं करें।
क्या कहते हैं उनके शिष्य: ठाकुरगंज सुरजापुरी विकास परिषद के नेता ताराचंद धानुका का कहना है कि शिक्षक और गुरु का सही अर्थ क्या है उन्होंने अपने जीवन में छात्रों को बताया। गंगा जमुनी तहजीब जीते जाते मिसाल थे। किशनगंज के वरिष्ठ अधिवक्ता गौरीशंकर अग्रवाल का कहना है कि सर ने जो अनुशासन और शिक्षा हम छात्रों को दिया वह आज जीवन भर काम आ रहा है। आज परिवार के पास ऐसे दर्जनों छात्र आ रहे हैं जो अपने गुरु के ऋणी है। परिवार को सांत्वना देने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लगातार कॉल आ रहे हैं। सभी की एक ही प्रार्थना है कि उन्हें ईश्वर अपने चरणों में स्थान दे तथा परिवार को वही प्यार और स्नेह मिलता रहे जो उनके गुरु को मिला करता था। रिपोर्ट अशोक झा