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Home»India»यूनिफॉर्म सिविल कोड का इरादा छोड़ दे: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
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यूनिफॉर्म सिविल कोड का इरादा छोड़ दे: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

Uma ShaBy Uma ShaFebruary 6, 2023
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यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का इरादा छोड़ दे: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
अशोक झा, सिलीगुड़ी:  प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक संपन्‍न हुई। इस दौरान एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्‍लाह रहमानी ने कहा कि देश के संविधान में हर व्‍यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गई है। इसमें पर्सनल लॉ बोर्ड भी शामिल है। इसलिए सरकार से अपील है कि वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का एहतराम करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का इरादा छोड़ दे। उन्‍होंने कहा कि इतने बड़े देश में जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं, वहां इस तरह का कानून लाने से देश को कोई फायदा नहीं होगा।
हमें शरीअत पर अमल करना होगा 
बैठक की अध्‍यक्षता आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्‍यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी ने की। इस दौरान मौलाना खालिद सैफुल्‍लाह रहमानी ने कहा कि बोर्ड की यह बैठक मुसलमानों को यह याद दिलाती है कि उन्‍हें अपने आपको अल्‍लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है।

महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने पर भी चर्चा 
मौलाना खालिद सैफुल्‍लाह रहमानी ने कहा कि 1991 के प्‍लेसिस ऑफ वरिशिप एक्‍ट पर भी बोर्ड में चर्चा हुई और कहा गया कि ये कानून हुकूमत का बनाया हुआ कानून है, जिसे संसद ने पास किया है। उसको कायम रखना सरकार की जिम्‍मेदारी है. इससे देश का फायदा भी है. उन्‍होंने कहा कि वक्‍फ की सुरक्षा, गरीबों और मुसलमानों की शिक्षा के लिए इसका इस्‍तेमाल कैसे किया जा सकता है। महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और सामाज‍िक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा की गई।

देश में नफरत का जहर घोला जा रहा 
वहीं, धर्मांतरण को लेकर बनाए गए विभिन्‍न राज्‍यों के कानूनों पर क्षोभ प्रकट करते हुए बोर्ड ने यह भी प्रस्‍ताव पारित किया कि धर्म का संबंध उसके यकीन से है, इसलिए किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है। हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने और धर्म का प्रचार करने की पूरी आजादी दी गई है, लेकिन वर्तमान में कुछ प्रदेशों में ऐसे कानून लाए गए हैं, जो नागरिकों को इस अधिकार से वंचित करने की कोशिश है जो कि निंदनीय है. देश में नफरत का जहर घोला जा रहा है, जो देश के लिए खतरनाक है। बता दें कि बैठक में 51 सदस्य मौजूद रहे। इसमें असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, मौलाना सज्जाद नोमानी, मौलाना अरशद मदनी, मौलाना खालिद रशीद, डॉक्टर असमा जेहरा शामिल हुए। रिपोर्ट अशोक झा

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