माघी पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं
अशोक झा, सिलीगुड़ी: सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र स्नान, ध्यान, दान करने को महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिष मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस महीने के हर एक दिन को दान-पुण्य के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना गया है।
माघ पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा 2023 शुरु होने की तारीख 4 फरवरी 2023 को रात 9 बजकर 29 मिनट से अगले दिन 5 फरवरी 2023 को रात 11 बजकर 58 मिनट तक है। उदया तिथि को मानते हुए माघ पूर्णिमा के अनुष्ठान 5 फरवरी 2023 तक किये जायेंगे।
माघी पूर्णिमा पूजा विधि, नियम, उपाय: माघी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें. इससे पिछले जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करें. इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनती है। घर में सुख समृद्धि के लिए माघी पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन करायें और दान दें. इससे कष्ट दूर हो जायेंगे। इस दिन काले तिल या तिल का दान विशेष रूप से करना अच्छा माना जाता है। माघ मास में काले तिल से हवन करना करें और काले तिल से ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। गायत्री मंत्र या’ ओम नमो नारायण’ मंत्र का लगातार 108 बार जप करें। धन की प्राप्ति के लिए माघ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के सामने घी का अखंड दीप जलाएं। माघी पूर्णिमा के दिन तिल, घी, कंबल, अनाज, फल का दान करें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए माघ पूर्णिमा के दिन पूजा घर में घी का अखंड दीपक जलाएं और उसमें चार लौंग रख दें। माघ पूर्णिमा का महत्व: माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. ये माघ महीने का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. धार्मिक परंपरा का पालन करने वाले लोग माघी पूर्णि मा पर गंगा , यमुना और सरस्वती नदी के संगम प्रयागराज में पवित्र स्नान, गाय और गृह दान जैसे कुछ अनुष्ठान संपन्न करते हैं. माघ के दौरान लोग पूरे महीने सुबह गंगा या यमुना में स्नान करते हैं।माघ पूर्णिमा पर स्नान के बाद भगवान विष्णु और मां काली की पूजा करनी चाहिए. मां काली के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं. काशी के पंडित शिवम शुक्ला बताते हैं कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर आपको पूजा के समय माघ पूर्णिमा व्रत कथा पढ़नी चाहिए. इससे उत्तम फल की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
माघ पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक कांतिका नगर था, जिसमें धनेश्वर नाम का गरीब ब्राह्मण रहता था।विवाह के काफी वर्ष बीत जाने के बाद भी उसे कोई संतान नहीं थी। वे इस बात से दुखी रहते थे। वे भिक्षा मांगकर आपना पेट पालते थे।
एक दिन धनेश्वर की पत्नी भिक्षा मांगने के लिए नगर में गई, लेकिन किसी ने उसे भिक्षा नहीं दी और उसे बांझ कहकर खरी-खोटी भी सुनाई।इस वजह से वह दुखी होकर घर आ गई। उस ब्राह्मण दंपत्ति को किसी ने सलाह दी कि तुम 16 दिनों तक मां काली की पूजा करो और व्रत रखो।
उन दोनों ने वैसा ही किया। उन्होंने लगातार 16 दिनों तक विधि विधान से माता काली की पूजा की। उनकी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर माता काली ने दर्शन दिए और उनको संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि हर पूर्णिमा को दीपक जलाओ और प्रत्येक पूर्णिमा के साथ दीपक की संख्या बढ़ाते जाना. यह तब तक करना, जब तक पूर्णिमा पर दीपकों की संख्या 32 न हो जाए।
उन दोनों ने मां काली के कहे अनुसार पूर्णिमा पर दीपक जलाते और उनकी पूजा करते। एक दिन धनेश्वर ने पूजा के लिए पत्नी को कच्चा आम दिया। उसने पूजा की और कुंछ दिनों में वह गर्भवती हो गई। जिससे उससे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। उन्होंने अपने बेटे का नाम देवदास रखा। उसे अकाल मृत्यु का योग था।देवदास जब बड़ा हुआ तो वह अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी चला गया। वहां पर छल से उसका विवाह कर दिया गया, जबकि वह अल्पायु था। एक दिन उसके मृत्यु का समय आया तो यमदूत उसके प्राण हरने आए। लेकिन उसके माता पिता ने पूर्णिमा का व्रत किया हुआ था, उस व्रत के पुण्य प्रभाव से अकाल मृत्यु का संकट टल गया और वह सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगा।कहा जाता है कि जो नियमपूर्वक पूर्णिमा का व्रत करता है, उसके संकट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूर्णिमा को स्नान और दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। रिपोर्ट अशोक झा