मदरसा आधुनिकीकरण का विरोध बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ : सूफी कैसर मजीदी
अशोक झा,सिलीगुड़ी: सूफी मोहम्मद कैसर हुसैन मजीदी जो राष्ट्रीय अध्यक्ष है सूफी खानका एसोसिएशन के उन्होंने कहा है कि मदरसों के आधुनिकीकरण का विरोध बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि किसी अधिकार के द्वारा किसी वर्ग संस्थाओं को कानून के दायरे से बाहर रखा जा सकता है लेकिन उन संस्थाओं में पढ़ने वाले बच्चों का क्या कसूर जिन्हें जानबूझकर बल्कि जबरिया आधुनिकीकरण से रोका जा रहा है या संविधान का उल्लंघन नहीं मजहबी तालीम के नाम पर बच्चों को उनके मूल अधिकार से वंचित किया जा रहा है इन सभी तथ्यों को प्रकाश में मुस्लिम समुदाय को खुद फैसला करना चाहिए कि वह अपने बच्चों को आने वाले वक्त में इस तरह का नौजवान बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा किए गए सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिसमें यह तथ्य प्रमख रूप से सामने आया है कि देश के अपंजीकृत मदरसों में पढ़ने वाले एक करोड़ दस लाख से अधिक बच्चे अपने शिक्षा के बुनियादी हक से महरूम हो रहे हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा देश के 16 भाहरों के हजारों काजियों और मदरसा शिक्षकों से जानकारी लेने के पश्चात प्राप्त अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार उन संस्थानों के पाठयक्रम में जो कुछ भी सम्मिलित है, वह मध्ययुगीय शिक्षा व्यवस्था पर आधारित है, जबकि आज के समय में उस प्रकार के इल्म-ओ-तालीम की कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि मदरसे में पढ़ने वाले जब हाफिज और कारी बन जाते हैं तो रोजगार के लिए वे किसी मस्जिद में इमाम या मोअजिन बनते हैं, नाकि किसी सरकारी विभाग में अफ़सर। इसी विसंगतता को रोकने के आधुनिक शिक्षा बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि मदरसा सुधार और आधुनिकीकरण का विरोध करने वालों को सोचना चाहिए कि दुनियावी और तकनीकी शिक्षा के जरिए छात्रों को जमाने के साथ साथ चलना सिखाया जा सकता है। मौलाना ने बताया कि जमियत उलेमा ए हिन्द के द्वारा हरियाणा, उत्तर प्रदेश में आईटीआई, मेडिकल कॉलेज भी चलाये जा रहे हैं जोकि आधुनिक शिक्षा का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश के ही कौशांबी जनपद के सरूयद सरावा में चिश्ती सूफी परंपरा के सूफियों द्वारा स्थापित जामे आरिफिया का पाठ्यक्रम न सिर्फ हाफिज और कारी बनाता है, बल्कि उन्हें आधुनिक शिक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मौलाना ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को खुद फैसला करना चाहिए कि वे अपने बच्चे को आने वाले वक्त में सिर्फ़ मज़हबी तालीम ही देना चाहते है या आधुनिक तालीम भी। मौलाना ने सरकार से भी माँग की है कि वो मदरसों के आधुनिकरण में सहयोग करें ताकि मुस्लिम समाज के बच्चे धार्मिक तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा लेकर देश के ज़िम्मेवार नागरिक बने और देश के विकास में सहयोग कर सकें। रिपोर्ट अशोक झा
मदरसा आधुनिकीकरण का विरोध बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ : सूफी कैसर मजीदी
