Khabar Aajkal SiliguriKhabar Aajkal Siliguri
  • Local News
    • Siliguri
    • West Bengal
    • India
  • International
  • Horoscope
  • Sports
  • Contact Us
  • Privacy Policy
Facebook Twitter Instagram
Facebook Twitter Instagram
Khabar Aajkal SiliguriKhabar Aajkal Siliguri
  • Local News
    • Siliguri
    • West Bengal
    • India
  • International
  • Horoscope
  • Sports
  • Contact Us
  • Privacy Policy
Khabar Aajkal SiliguriKhabar Aajkal Siliguri
West Bengal

मकर संक्रांति का बेसर्बी से इंतजार,मकर संक्रान्ति पर पतंग उड़ाने की परंपरा

Uma ShaBy Uma ShaJanuary 14, 2023
Facebook WhatsApp Twitter LinkedIn Email Telegram
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

मकर संक्रांति का बेसर्बी से इंतजार,मकर संक्रान्ति पर पतंग उड़ाने की परंपरा
-मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का संबंध प्रभु श्री राम से है
 अशोक झा, सिलीगुड़ी: लोहड़ी के बाद सभी को मकर संक्रांति का बेसर्बी से इंतजार रहता है। भले ही इस पर्व को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, लेकिन इसे खुशी का त्योहार कहना गलत नहीं होगा। इस दिन दान, पूजा, जाप स्नान आदि चीजों का बहुत महत्व होता है। जनवरी के महीने में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मकर संक्रांति  के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं।
मकर संक्रान्ति के दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती है। इस त्‍योहार को मानने के पीछे प्रमुख वजह है कि किसानों को अपने खेतों से नई फसल मिलती है, उस फसल का उपयोग करने से पहले ईश्‍वर और प्र‍कृति को आभार प्रकट करने के लिए इस दिन अनाज दान करने की परंपरा है। इस दिन भारतीय खास तौर पर उत्‍तर भारतीय स्‍नान दान और पूजा के बाद खिचड़ी खाते हैं। इस दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भरा रहता है। क्‍या कभी आपने सोचा है मकर संक्रान्ति पर पतंग उड़ाने की परंपरा क्‍यों है ? इस त्यौहार पर लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जमकर पतंगबाजी करते हैं, तभी का इसका अगल ही उत्साह देखने को मिलता है। लेकिन ये बात बेहद कम लोग जानते होंगे कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का संबंध प्रभु श्री राम से है। धार्मिक मान्यता अनुसार मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के परंपरा की शुरुआत भगवान राम ने की थी। माना जाता है कि इस दिन पतंग को हवा में उड़ाकर छोड़ देने से सारे क्लेश समाप्त हो जाते हैं। तमिल के तन्दनान रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू की थी। बताया जाता है कि जो पतंग भगवान राम ने उड़ाई थी, वह सीधे स्वर्ग लोक पहुंच गई थी। स्वर्ग लोक में पतंग इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को मिली। उनको पतंग काफी पसंद आई और उसको अपने पास रख लिया। उधर भगवान राम ने हनुमानजी को पतंग लाने के लिए भेजा। जब हनुमानजी ने जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने के लिए कहा, तब उन्होंने भगवान राम के दर्शन की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि दर्शन के बाद ही वह पतंग वापस करेंगी।
उनकी इच्छा जानने के बाद भगवान राम ने कहा कि वह मेरे दर्शन चित्रकूट में कर सकती है। हनुमानजी ने स्वर्ग लोक में जयंत की पत्नी को भगवान राम का आदेश दिया, जिसके बाद उन्होंने पतंग वापस कर दी।मान्यता है इस दिन से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस पावन पर्व परपवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है।

मकर संक्रांति के दिन हो जाता है अपवित्र महीने का अंत

मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। दूसरी ओर, संक्रांति प्रकाश का प्रतीक है। यह बौद्धिक बुद्धिमत्ता का संदेश भी देता है। इस दिन का अर्थ है ‘पौसा’ के अपवित्र महीने का अंत। वैदिक दर्शन में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।मकर संक्रान्ति को उत्तरायण के शुभ काल की शुरुआत होती है। इस दिन से सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

मकर सक्रांति के स्‍नान दान का है विशेष महत्‍व

मकर संक्रान्ति के दिन गजक, रेवाड़ी समेत तिल की नई फसल से निकले तिल से मिठाई बनाई जाती है। गन्‍ने की नई फसल आती है उसकी भी पूजा होती है।शक्कर, चावल, गुड़, तिल, उड़द की दाल, मूंग की दाल, कपड़े और कई अन्य चीजें दान किए जाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान और सूर्य देव को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।

मकर संक्रा‍न्ति के दिन क्‍यों उड़ाते हैं पतंग

मकर संक्रांति में पतंग उड़ाने का विशेष महत्‍व है। मकर संक्रान्ति के दिन सुबह से शाम तक आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती नजर आती है। पतंग उड़ाने के पीछे मान्‍यता है कि इस दिन सूर्य उत्‍तरायन रहता है इसलिए इस दिन आकाश को देखने से मन प्रसन्न होता है। ये भी मान्‍यता ​​है कि पतंग उड़ाना देवताओं को धन्यवाद देने का एक तरीका है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि छह महीने की अवधि के बाद मकर संक्रांति के दिन देवता जागते हैं।

पतंग उड़ाने और सेहत से क्‍या है कनेक्‍शन

ये भी मान्‍यता है कि मकर संक्रांति पर लोग सूर्य की किरणों के संपर्क में आने के लिए पतंग उड़ाते हैं। ताकि सर्दियों से जुड़े त्वचा के संक्रमण और बीमारियों से वो छुटकारा पा सके। सर्दियों के महीनों में लोगों को लंबे समय तक धूप नहीं मिल पाती है। सूर्य की किरणों का शरीर पर पड़ना हेल्‍थ के लिए अच्‍छा माना जाता है, क्योंकि यह विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। रिपोर्ट अशोक झा

Share. Facebook WhatsApp Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Email

Related Posts

ফের রাজ্যে বোমাবাজিতে মৃত্যু হল এক তৃণমূল কর্মীর।

February 5, 2023

শিlলিগুড়ি মেট্রোপলিটন পুলিশের উদ্যোগে ফান রান ম্যারাথন দৌড়ের আয়োজন করা হল।।

February 5, 2023

#तमिलनाडु में मुफ्त साड़ी के लिए टोकन वितरण के दौरान मची भगदड़, 4 महिलाओं की हुई मौत!!

February 5, 2023
Advertisement
Archives
Facebook Twitter Instagram WhatsApp
  • Contact Us
  • Privacy Policy
© 2023 Khabar Aajkal Siliguri

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.