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Home»India»भगवान शिव ने अपने ही ससुर दक्ष प्रजापति का सिर क्रोधवश काट दिया था?
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भगवान शिव ने अपने ही ससुर दक्ष प्रजापति का सिर क्रोधवश काट दिया था?

Uma ShaBy Uma ShaFebruary 17, 2023
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भगवान शिव ने अपने ही ससुर दक्ष प्रजापति का सिर क्रोधवश काट दिया था?
भोलेनाथ जितना सरल,उनका क्रोध भी उतना ही तीव्र
 अशोक झा, सिलीगुड़ी: 
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव के अनेक नाम हैं जैसे शंकर, महादेव, महेश, उमापति आदि। और उन्हीं नामों में से एक नाम है भोलेनाथ, भोले इसलिए क्योंकि बाबा बहुत सरल हैं और सुलभता से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो, उन्हें मन चाहे वर की प्राप्ति करा देते हैं।
परंतु भोले बाबा जितने सरल हैं, उनका क्रोध भी उतना ही तीव्र है। यही कारण है कि भगवान शिव को प्रलयन्कर भी कहा जाता है और उनका काम भी सृष्टि का संहार करना है। भगवान शिव के क्रोध के शिकार दैत्य तो क्या देवता भी अनेकों बार हुए हैं परंतु क्या आप जानते हैं कि एक बार भगवान शिव ने अपने ही ससुर दक्ष प्रजापति का सिर क्रोधवश काट दिया था? अगर नहीं तो आइये बताते हैं आपको इस प्रसंग के बारे में।
कौन थे दक्ष प्रजापति?

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं किदक्ष प्रजापति, ब्रह्मा जी के पुत्र थे एवं माता सती के पिता थे और सती के पिता होने के नाते भगवान शिव के ससुर भी हुए। दक्ष को माता सती का भगवान शिव से विवाह करना नहीं भाया, जिसके कारण उन्होंने विवाह के पश्चात उनसे अपने सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे।

जब सती बिना निमंत्रण पहुंची दक्ष के घर,

एक बार की बात है, माता सती और भोलेनाथ कैलाश पर विराजमान थे, तभी कहीं से उन्हें यह सूचना मिली कि राजा दक्ष ने अपने महल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया है, जिसमें सभी देव, देवता, यक्ष, गन्धर्व आदि को निमंत्रित किया गया है. खुदको निमंत्रण ना मिलने के कारण माता सती थोड़ी सकुचाईं और बात को संभालने के लिए शिव से बोली, “पिता के घर जाने के लिए पुत्री को कब से निमंत्रण की आवश्यकता पड़नेने लगी? पिताजी ने अनुष्ठान रखा है और मायके गए हुए काफी समय भी हो गया. अतः मैं तो मायके जाऊंगी।” भोलेनाथ के समझाने पर भी सती नहीं मानीं और राजा दक्ष के घर पहुंच गईं।

माता सती ने तजे प्राण

वहां जाकर मां ने देखा की विष्णु, ब्रह्मा समेत सभी देवताओं का आसन लगा है परंतु भगवान शिव का कहीं नाम भी नहीं. तभी राजा दक्ष ने भी सती से दुर्व्यवहार किया। जिससे रुष्ट होकर माता सती ने हवन कुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी. यह बात जब भगवान शिव को पता लगी तो उनके क्रोध का ठिकाना नहीं रहा।

भगवान शिव को आया क्रोध

भगवान शिव यज्ञस्थली में उपस्थित हो गये, माता सती का जला हुआ पार्थिव देख भगवान शिव के गुस्से का ज्वालामुखी राजा दक्ष पर फूट गया, जिसके कारण भगवान शिव ने उसका सर काट दिया। उसके बाद भी भगवान शिव की क्रोधाग्नि शांत नहीं हुई और वो माता सती का जला हुआ पार्थिव लेकर सम्पूर्ण पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे, जिससे उनका क्रोध बढ़ता ही जा रहा था।

श्रीहरि ने भेजा सुदर्शन चक्र

यह देख भगवान श्रीहरि ने अपने सुदर्शन चक्र को उनके पिछे छोड़ा और सुदर्शन ने एक-एक कर सती के श्रीअंग काटना शुरू कर दिए, पृथ्वी पर जिन 52 जगह माता सती के श्रीअंग गिरे, वहां 52 शक्तिपीठों की स्थापना हुई, जोकि आज भी आस्था का मुख्य केंद्र हैं।

दिया दक्ष को जीवन दान

काफी समय बाद देवों की स्तुति के कारण बाबा भोलेनाथ का क्रोध शांत हुआ, तब उनके पास ब्रह्मा जी पधारे। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को सती के पुनर्जन्म के बारे में बताकर पहले तो प्रसन्न किया और फिर अपने पुत्र दक्ष के प्राणों की भीख मांगी, तब भोलेनाथ ने दक्ष के सर की जगह एक बकरे का सर लगा दिया और प्रजापति दक्ष को जीवन दान दिया। रिपोर्ट अशोक झा

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