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देवेन्द्र आहूजा उर्फ चिंटू अंतर्राष्ट्रीय गैंग का सरगना,कभी सिर्फ आठ हजार रुपए महीने की नौकरी

Uma ShaBy Uma ShaNovember 27, 2022
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देवेन्द्र आहूजा उर्फ चिंटू अंतर्राष्ट्रीय गैंग का सरगना,कभी सिर्फ आठ हजार रुपए महीने की नौकरी
-आगरा से मालदा तक फैला था ड्रग का कोराबार
 -उसे यहां तक पूर्वांचल के एक ‘बाहुबली’ ने पहुंचाया
अशोक झा, सिलीगुड़ी: कभी सिर्फ आठ हजार रुपए महीने की नौकरी करने वाला देवेन्द्र आहूजा उर्फ चिंटू अंतर्राष्ट्रीय गैंग का सरगना यूं ही नहीं बन गया। उसे यहां तक पूर्वांचल के एक ‘बाहुबली’ ने पहुंचाया।नशे के सौदागरों के बीच वह ‘चिंटू डॉन’ के नाम से जाना जाता है। दवा बाजार में चर्चाओं की मानें तो उसके पास करोड़ों का आलीशान घर, महंगी गाड़ियों के साथ तमाम गोदाम भी हैं। सी-45, प्रताप नगर के रहने वाले देवेन्द्र आहूजा पुत्र सत्यपाल आहूजा के गिरफ्त में आते ही उसका इतिहास दवा बाजार का हाटकेक बन गया है। बाजार की चर्चाओं की मानें तो बीते 16 सालों से वह नकली, नशे में प्रयोग होने वाली दवाओं के साथ गर्भपात की दवाओं का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काला कारोबार कर रहा है। इसके पीछे की कहानी भी दवा बाजार में तेजी से फैल रही है। इसके मुताबिक वह 2008 से 2012 तक फुव्वारे की ही एक फर्म पर आठ हजार रुपए महीने की नौकरी करता था। नौकरी के दौरान दवा बाजार में काम करने वाले कुछ लड़कों ने उसकी मुलाकात पूर्वांचल के बाहुबली से कराई। यहीं से उसके जीवन में यू-टर्न आ गया। उसने नौकरी छोड़ दी और बाहुबली की कृपा से नशीली दवाओं के कारोबार में उतर गया। उसका पैसा काले कारोबार में लगाया और खूब धन कमाया। बाहुबली की पुलिस में साठगांठ का फायदा भी मिला। इसलिए वह कभी पकड़ा नहीं गया। नाम तक बाहर नहीं आया। इस दौरान उसने कई राज्यों में काम फैला दिया। इस कहानी में कितनी सच्चाई है यह पुलिस जांच में सामने आएगी।डार्कनेट का करता है इस्तेमाल 
गैंग का कारोबार पड़ोसी देश बंग्लादेश, नेपाल के अलावा बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, मणिपुर, झारखंड, पंजाब जैसे राज्यों में उसका कारोबार मजबूती से खड़ा है। इस गैंग का संचार तंत्र भी अत्याधुनिक बताया जाता है। इसके लिए वह कभी फोन पर बात नहीं करता। वाट्सएप कालिंग का सहारा लेता है। हमेशा नंबर बदलता रहता है। बिक्री के लिए वह डार्कनेट का प्रयोग करता है। उसके इंटरनेट की लाइन पकड़ना बहुत ही मुश्किल काम है।
सीमा पार ड्रोन से भेजते हैं ड्रग्स 
दवा बाजार में यह भी चर्चा है कि देवेन्द्र का गैंग सीमावर्ती इलाकों में ड्रग्स भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता है। इसके लिए अच्छी ताकत वाले ड्रोन लिए गए हैं। विशेषकर ऐसे रास्तों को चुना जाता है जहां परिवहन के कोई दूसरे साधन नहीं हैं। कई और गैंग भी ऐसा करते हैं। यानि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो बड़े गैंग करते हैं, उसी रास्ते पर चिंटू का गैंग चल रहा है। हालांकि अभी इसके कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं।
दवा के बदले आगरा आ रहा स्मैक 
सूत्रों की मानें तो यह गैंग बंगाल, ओडिशा, विशाखापत्तनम जैसी जगहों से गांजा, अफीम, चरस और स्मैक वाराणसी, मघ्य प्रदेश के कई जिलों से होते हुए आगरा ला रहा है। यहां से नशीली वस्तुएं आगरा के अलावा नोएडा, दिल्ली, मथुरा, हरियाणा और पंजाब भेजी जा रही हैं। उसके गिरोह में कई हाई प्रोफाइल महिलाओं का शामिल होना भी चर्चाओं में है। उसकी अचल संपत्ति करोड़ों में बताई जा रही है। आधा दर्जन महंगी गाड़ियों की भी चर्चा है।
गैंगवार के तहत पकड़ा गया देवेन्द्र!
इस मामले में एक चर्चा गैंगवार की भी है। बताते हैं कि पहले देवेन्द्र और एक अन्य काले कारोबारी मिलकर काम करते थे। एक साथ ही बाजार में सीरप,दवा का रेट फिक्स होता था। लेकिन इस गैंग ने कई बार सीरप को रेट गिराकर बेचा। इससे दूसरे का माल कम बिका। यहां से दोनों में दरारें बढ़ गईं। एक-दूसरे का माल पकड़वाने लगे। बीते दिनों गोरखपुर में पकड़ी गई खेप भी इसी का हिस्सा थी। अब एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें कर रहे हैं।
पुलिस को उम्मीद है कि देवेंद्र की गिरफ्तारी से राज्य में नशीले पदार्थों के कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। रविवार को देवेंद्र को मालदा लाया जाएगा। पुलिस इसे बड़ी सफलता मान रही है. यह पहली बार है, जब राज्य के ड्रग्स माफिया का लिंक दूसरे राज्य से जुड़ा है। देवेंद्र प्रतापनगर, आगरा, उत्तर प्रदेश के रहने वाला है। उनके पिता का नाम सत्यप्रकाश आहूजा है।  उन पर लंबे समय से देश के अलग-अलग हिस्सों में नशीले पदार्थों का धंधा चलाने का आरोप लगता रहा है।
आगरा से मालदा तक फैला था ड्रग का कोराबार

हाल ही में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मालदा में विभिन्न स्थानों से ड्रग्स और काला धन बरामद किया था। उन सभी स्रोतों से देवेंद्र का पता चला। पुलिस को पता चला कि देवेंद्र इस गिरोह का मास्टरमाइंड था। देवेंद्र पश्चिम बंगाल के रास्ते उत्तर प्रदेश से बांग्लादेश में ड्रग्स, फेन्सिडिल भेजता था. इसके बाद कालियाचक थाने की ओर से विशेष टीम गठित की गई। उस टीम ने शनिवार को देवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ करने पर ड्रग कारोबार के कई राज खुलने की उम्मीद है। बता दें कि देवेंद्र पहले आगरा के फव्वारा मार्केट में हिंद मेडिकल स्टोर में केवल आठ हजार रुपये पर नौकरी करता था। वह लोकल माफिया के संपर्क में आया और फिर ड्रग का कारोबार करने लगा।

मालदा में तस्करों की गिरफ्तारी के बाद खुला था राज

हाल ही में कालियाचक थाने ने अजीजुर रहमान नाम के एक ड्रग डीलर को गिरफ्तार किया था। उन पर प्रतिबंधित कफ सिरप की तस्करी का आरोप लगाया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उससे पूछताछ के बाद देवेंद्र का पता चला। इतना ही नहीं, सीआईडी ​​ने पिछले साल सितंबर में पेशे से मछुआरे गजोल के घकशोल क्षेत्र निवासी जयप्रकाश साहा के घर से करीब डेढ़ लाख रुपये बरामद किए थे। राज्य के गुप्तचरों को पता चला कि बड़ी मात्रा में ड्रग्स, मुख्य रूप से फेन्सीडिल बेचकर धन इकट्ठा किया था। इसके बाद कुछ दिन पहले एसटीएफ ने कालियाचक थाना क्षेत्र के गंगानारायणपुर इलाके में एक प्रवासी मजदूर के घर छापेमारी कर 37 लाख रुपये बरामद किए थे। प्रवासी मजदूर इस समय ड्रग के एक मामले में जेल में है. उसकी पत्नी को पैसे की वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन, यह पहली बार है जब मालदा में ड्रग माफिया के पीछे दूसरे राज्य का लिंक पाया गया है। रिपोर्ट अशोक झा

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