क्या पश्चिम बंगाल में आईएसआईएस अपना केंद्र बना रहा है ?
– तुष्टिकरण बना इसका सबसे बड़ा कारण
अशोक झा, सिलीगुड़ी:
क्या पश्चिम बंगाल में आईएसआईएस अपना केंद्र बना रहा है क्या पश्चिम बंगाल की जमीन से देश को चुनौती देने का काम आतंकी कर रहे हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे यह लगातार सीमावर्ती क्षेत्रों में फल फूल रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण 6 जनवरी को आईएस के दो संदिग्ध कोलकाता से गिरफ्तारी हुई। बता दें कि आईएस का खोरासान गुट हमेशा गजवा ए हिंद की बात करता है। अब जिस तरह से ये दो गिरफ्तारी हुई हैं और उनका कनेक्शन एमपी के खंडवा से गिरफ्तार अब्दुल राकिब से स्थापित हुआ है वो चिंता का विषय है।
खंडवा-कोलकाता कनेक्शन
10 जनवरी को मध्य प्रदेश के खंडवा से अब्दुल राकिब नाम के शख्स की गिरफ्तारी और इसका संबंध कोलकाता से गिरफ्तार आईएस के दो संदिग्धों से जोड़क देखा जा रहा है। अब्दुल राकिब का सिमी से संबंध भी रहा है, यूएपीए के तहत केस दर्ज हुआ था। पुलिस का कहना है कि इसके खिलाफ जानकारी तब मिली जब कोलकाता में गिरफ्तार दो संदिग्धों से पूछताछ हुई। प्राथमिक जानकारी के मुताबिक अब्दुल राकिब और दोनों संदिग्धों के बीच संबंध है। पुलिस की तफ्तीश जारी है। बता दें कि आईएसआईएस से जुड़े कुछ मामले केरल से आए थे जिससे पता चला कि कुछ लड़कों का ब्रेन वॉश कर गजवा ए हिंद की मुहिम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया था। लेकिन अब जिस तरह से कोलकाता से दो संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई है उससे पता चल रहा है कि आतंकी संगठन देश के इस हिस्से को केंद्र बनाकर अपनी नापाक मुहिम को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं।दोनों के बीच बातचीत इंटरनेट के माध्यम से होती थी। पश्चिम बंगाल एसटीएफ सद्दाम और रकीब के नेटवर्क से जुड़े लोगों का पता लगाने में जुटी है।
सिमी का सदस्य रहा अब्दुल रकीब कुरैशी पश्चिम बंगाल एसटीएफ की हिरासत में है। एसटीएफ उसके मोबाइल का डाटा खंगाल रही है। इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि रकीब पश्चिम बंगाल के आटो मोबाइल व्यवसायी ग्रुप से जुड़ा था। इस ग्रुप में जुड़े सद्दाम से उसकी बात होती थी। इसके बाद दोनों ने अपनी इंटरनेट आइडी एक दूसरे से शेयर की थी। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से दोनों के बीच बात हो रही थी। दोनों के बीच हुई बातचीत में यह बात सामने आई है कि सद्दाम ने रकीब को हथियार जुटाने की जिम्मेदार दी थी। सद्दाम हर समय इंटरनेट पर हथियारों के बारे में सर्चिंग करता था। विदेशी हथियारों के बारे में वह पता करता रहता था। उसने ही रकीब को हथियार जुटाने के लिए कहा था। जांच में यह बात भी सामने आई थी कि सद्दाम आइएस से जुड़ा हुआ है। इसके बाद से सद्दाम रकीब को अपना गुरु मानने लगा था।
जमानत पर सेंट्रल जेल से आया था बाहर
कोतवाली थाने में रकीब पर वर्ष 2009 में धारा 307, 341, 153कए 295, 124,120, 3,10ए13ए18 और 20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप की धारा में केस दर्ज हुआ था। इसी तरह से 2011 में 153 ए, 3,10,13,18 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप और आर्म्स एक्ट 25 और 27 में प्रकरण दर्ज हुआ था। इस मामले में उसे सजा हुई थी। वर्ष 2009 में 11 जनवरी 2019 को वह सेंट्रल जेल से जमानत पर बाहर आया था। इसके बाद वह आटो मोबाइल का व्यवसाय करने लगा था।
अति संवेदनशील जिले में खुफिया पुलिस व सायबर सेल का नेटवर्क फैल
पश्चिम बंगाल एसटीएफ द्वारा खंडवा में आकर की गई कार्रवाई के बाद एक बार फिर पुलिस के खुफिया नेटवर्क की कलाई खोल दी है। चाय की गुमटियों पर चुश्कियां लेने वाले खुफिया पुलिसकर्मी यह तक पता नहीं लगा पाए कि अति संवेदनशील शहर में आंतकवाद का नेटवर्क पनप रहा है। वहीं, दूसरी तरफ हिंदू संगठन के लोग देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
सिमी का गढ़ कहलाता है खंडवा
सिमी से जुड़े रहे अब्दुल रकीब कुरैशी को पश्चिम बंगाल एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से खंडवा में चर्चा का बाजार गर्म है। चर्चा खुफिया पुलिस को लेकर है। ऐसे में देखा जाए ताे शहर में एटीएस और आइबी तक सक्रिय है। इनका काम ही देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों का पता लगाना है। लेकिन इन्हें भी यह पता नहीं चल सका है कि सिमी से जुड़ा रहा रकीब किसके संपर्क हैं। सिमी का गढ़ माने जाने वाले खंडवा में सुरक्षा एजेंसियों और साइबर सेल की लापरवाही इससे साफ जाहिर होती है। इसके साथ ही जिला पुलिस का भी एक खुफिया नेटवर्क है। इसमें पुलिसकर्मी का काम शहर में चल रहे संदिग्ध गतिविधि का पता लगाना होता है। लेकिन यह भी पता नहीं लगा सके।
अंतरराष्ट्रीय स्तर से जुड़े हैं तार
इस कार्रवाई को लेकर हिंदूवादी नेता महादेवगढ़ संरक्षक अशोक पालीवाल ने कहा कि खंडवा लंबे समय से सिमी का गढ़ रहा है। सिमी गतिविधियों में संलिप्त रहा है। आज भी यहां कई सिमी के कार्यकर्ता अन्य नए संगठनों के माध्यम से सक्रिय है। इनके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े हुए हैं। इस तरह से देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की तलाश होना चाहिए। उनके नाम उजागर कर कार्रवाई की जाना चाहिए। इससे की देश और शहर में शांति बनी रहे। रिपोर्ट अशोक झा