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Home»India»उत्तरवाहनी गंगा जल से बाबा भोलेनाथ व मईया पार्वती के विवाह में जल का उपयोग 
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उत्तरवाहनी गंगा जल से बाबा भोलेनाथ व मईया पार्वती के विवाह में जल का उपयोग 

Uma ShaBy Uma ShaFebruary 17, 2023
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उत्तरवाहनी गंगा जल से बाबा भोलेनाथ व मईया पार्वती के विवाह में जल का उपयोग 
अशोक झा, सिलीगुड़ी:  अजगैबीनाथ मंदिर के महंत प्रेमानंद गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि को लेकर अजगैबीनाथ मंदिर में शिव बारात झांकी की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के लिए अजगैबीनाथ मंदिर के उत्तरवाहनी गंगा का जल पूजा- पाठ के लिए मंदिर के पुरोहित जुगल बाबा द्वारा बैधनाथ धाम भेजा गया है। इसी गंगा जल से बैधनाथ धाम में बाबा भोलेनाथ व मईया पार्वती के विवाह में जल का उपयोग करते हुए विवाह कार्यक्रम होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी परम्परा पुरातन कालीन युग से चली आ रही है। इसी को लेकर आज अजगैबीनाथ धाम से उत्तरवाहनी गंगा जल बैधनाथ धाम भेजा गया। साथ ही कहा कि महाशिवरात्रि के दिन शिव बारात झांकी मंदिर से निकाली जाएगी। झांकी में बैल गाड़ी, भूत पिचास, शिव पार्वती, गणेश -कार्तिक सहित तरह तरह की प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहेगी। बेहतर प्रदर्शन करने वाली झांकी को अजगैबीनाथ मंदिर द्वारा पुरस्कार देकर पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही महाशिवरात्रि को लेकर सैकड़ों कांवरिया अजगैबीनाथ मंदिर के उत्तरवाहनी गंगा में स्नान कर गंगा जल लेकर देवघर के लिए रवाना हुए. वे हर हर महादेव का जयघोष करते पैदल बैधनाथ धाम के लिए रवाना हो गए हैं। महाशिवरात्रि को लेकर सुल्तानगंज में खासी रौनक देखी जा रही है जिसमें बड़ी सख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी और इसी दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्रााजी ने शिवलिंग की पूजा की थी। महाशिवरात्रि पर शिवजी के विशेष पूजा-आराधना, व्रत और जलाभिषेक किया जाता है। महाशिवरात्रि पर दिनभर पूजा के साथ रात में भो भोलेभंडारी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह हुआ था। आइए जानते हैं इस बार महाशिवरात्रि पर किस तरह का शुभ संयोग बन रहा है, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।
महाशिवरात्रि पर प्रदोष व्रत का संयोग

हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर बहुत ही शुभ संयोग बनने जा रहा है। 18 फरवरी,शनिवार को त्रयोदशी तिथि है और इस तिथि पर प्रदोष का व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा-उपासना के लिए खास होता है। इस दिन त्रयोदशी तिथि की समाप्ति के बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।

महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी, शनिवार को रात 08 बजकर 05 मिनट से शुरू हो रही है। फिर इसके बाद 19 फरवरी 2023 की शाम को 04 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

महाशिवरात्रि 18 या 19 फरवरी कब मनाएं

हर साल महाशिवरात्रि का महापर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा चार प्रहर में करने का विशेष महत्व होता है और इसमे से भी रात्रि का 8वां मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस बार चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी की शाम को समाप्त हो जाएगी। इस कारण से महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि 2023 पर शुभ संयोग 

सर्वार्थ सिद्धि योग- शाम 05:42 से अगले दिन प्रात: 07:05 तक
वरियानो योग : 18 फरवरी को रात्रि 07 बजकर 35 मिनट से वरियान योग प्रारंभ होगा जो अगले दिन दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा
निशीथ काल पूजा मुहूर्त( आठवां मुहूर्त) : 24:09:26 से 25:00:20 तक रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त ( 19 फरवरी) : 06:57:28 से 15:25:28 तक

शुभ मुहूर्त 18 फरवरी 2023

अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:29 से 01:16 तक 
अमृत काल : दोपहर 12:02 से 01:27 तक 
गोधूलि मुहूर्त : शाम को 06:37 से 07:02 तक

चार पहर के महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त

रात्रि प्रथम प्रहर : 18 फरवरी शाम 6:21 मिनट से रात 9:31 तक 
रात्रि द्वितीय प्रहर : 18 फरवरी रात 9: 31 मिनट से 12:41 मिनट तक 
रात्रि तृतीय प्रहर : 18-19 फरवरी की रात 12:42 मिनट से 3: 51 मिनट तक 
रात्रि चतुर्थ प्रहर : मध्यरात्रि बाद 3:52 मिनट से सुबह 7:01 मिनट तक

महाशिवरात्रि पूजा विधि 2023

महाशिवरात्रि पर शिवभक्त सुबह स्नानादि करके शिवमंदिर जाएं।
पूजा में चन्दन, मोली ,पान, सुपारी,अक्षत, पंचामृत,बिल्वपत्र,धतूरा,फल-फूल,नारियल इत्यादि शिवजी को अर्पित करें।
भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं।
‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें।
रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए।
दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें। रिपोर्ट अशोक झा

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